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Bhoot Pret Ki Kahaniya Hindi
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इस 'भूत प्रेत की कहानी हिंदी | Bhoot Pret Ki Kahani hindi ' लेख में चित्रित कहानी, सभी नाम, पात्र और घटनाएं काल्पनिक हैं। वास्तविक व्यक्तियों (जीवित या मृत), स्थानों, इमारतों और उत्पादों के साथ कोई पहचान का इरादा नहीं है या अनुमान लगाया जाना चाहिए।
भूत प्रेत की नई कहानी २०२२ हिंदी पार्ट-१
- भूत प्रेत की कहानी हिंदी-१ South Delhi ki Bhoot Pret Ki Kahani hindi.
- भूत प्रेत की कहानी हिंदी-२ मसूरी की डरवानी कहानी।
- भूत प्रेत की कहानी हिंदी-३ Queen merry ship की कहानी।
- भूत प्रेत की कहानी हिंदी-४ टावर ऑफ़ लंदन की कहानी।
South Delhi ki Bhoot Pret Ki Kahani hindi
भूत प्रेत की कहानी हिंदी-१ | भारत में मुगलकाल लंबा और महत्वपूर्ण रहा। मुगलों ने भारत के जीवन में अपनी गहरी छाप छोड़ी। उन्होंने ताज महल से लेकर लाल किला और दिल्ली की जामा मस्जिद से लेकर दूसरी सैकड़ों इमारतें बनाई। उन्हीं में से एक हवेली है, जीनत महल की हवेली जिसे बहुत कम लोग ही जानते हैं।
लेकिन इतिहास के पन्नों को पलटने पर आप पायेंगे कि यह हवेली खास तौर से एक खूबसूरत मल्लिका के लिये बनवायी गई थी, लेकिन वर्तमान में आस-पास रहने वाले लोगों से पूछेंगे, तो इस हवेली में आपको प्रेतों का वास मिलेगा। इस लेख को पढ़ने से पहले शायद आपसे अगर कोई पूछता क्या आपको मालूम है कि मगल दौर की आखिरी इमारत कौन सी है?
तो हो सकता है आपका जवाब नहीं में होता, इतिहास की किताबों में खोजने पर भी शायद यह जानकारी नहीं मिले, लेकिन यह सच है कि मुगलों द्वारा बनायी गईं बेहतरीन इमारतों में यह सबसे आखिरी इमारत है, जिसे बहादुर शाह जफर ने बनवाया था। महरौली में पर हम आपको बताते हैं कि मुगलिया दौर की आखिरी इमारत दिल्ली के महरौली इलाके में है।
ये साउथ दिल्ली में आता है इलाका। इसका नाम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर की पत्नी के नाम पर है। हवेली में लाशों का ढेर दोनों का निकाह 1840 में हुआ था। शादी के ठीक चार छह बाद ही यानी 1846 में इस हवेली का निर्माण कराया गया। हवेली विशेष रूप से जीनत महल के लिये बनवायी थी।
जीनत जब हवेली में दाखिल होती थीं, तब शहनाईयां बजती थीं। संगीत की धुनों में पूरी हवेली रम जाती थी। जीनत बहादुर शाह जफर की सबसे पसंदीदा पत्नी थीं। 1886 में जीनत का रंगून (बरमा) में निधन हो गया। उसके बाद बहादुर शाह जफर ने इस हवेली में जाना छोड़ दिया।
मुगल प्रशासन ने हवेली पर जरा भी ध्यान नहीं दिया। 1857 की जंग के दौरान ब्रिटिश सेना ने इस हवेली पर कब्जा कर लिया और जंग के दौरान मारे गये लोगों की लाशों को इसी हवेली में स्थित एक कुंए में फेंक दिया। यही नहीं तमाम लाशों को हवेली के तहखाने में डाल दिया। कई लोगो की माने तो यहा पर भूत- प्रेत को देखा गया है।
कई महीनों तक लाशें यहीं पर सड़ती रहीं। हवेली के आस-पास रहने वाले लोगों का मानना है कि यहां हुए नरसंहार की वजह से यहां पर आत्माओं ने बसेरा बना लिया। और रात को अक्सर यहां से सिसकियां सुनायी देती हैं। स्थानीय लोग इस हवेली के पास रात को जाने से डरते भी हैं। खैर भारत सरकार को न तो लोगों की बातों की परवाह है, और न हीं हवेली की।
शायद इसीलिये 1947 में सरकार के अधीन आने के बाद भी इस हवेली के सौंदर्यीकरण के बारे में किसी ने नहीं सोचा। पर्यटकों से दूर हैरानी होती है कि मुगलदौर की आखिरी इमारत को पर्यटकों के बीच लोकप्रिय करने की कोई कोशिशें नहीं हो रहीं। अगर हों तो पर्यटक इसे देखना चाहेंगे।
जीनत महल उसी इलाके में जहां पर कुतुब मीनार, बख्तियार काकी की दरगाह, कालका मंदिर जैसी दिल्ली की अहम स्थान है। जीनत महल में मुगलदौर के आर्किटेक्चर की साफ छाप देखने को मिल जाती है। इसकी दिवारों पर सुंदर नक्काशी की गई है। इमारत के बाहर एक बड़ा सा गेट है लकड़ी का। गेट बंद रहता है।
मसूरी की डरवानी कहानी
भूत प्रेत की कहानी हिंदी-2| मसूरी। पहाड़ों की रानी मसूरी में शाम जैसे-जैसे ढ़लती जाती है अंधेरा दूरदूर तक फैली पहाडियों को अपने आगोश में ले लेता है। और इसी अंधेरे में एक विरान होटल गुमनाम साए के रूप में करवट लेता है। जी हां हम बात कर रहे हैं मसूरी के प्रसिद्ध होटले में से एक रहे होटल सवॉय की।
सवा सौ साल पुरानी यह इमारत आज मसूरी की तारीख का हिस्सा है। रात में यह होटल अपने खास अंदाज में गुलजार हो जाता है। ठीक उसी तरह जैसे कोई कब्रिस्तान नयी कब्र खुदने के बाद या फिर कोई शमशान नयी चिता सुलगने के बाद। मसूरी के बीचो-बीच स्थित इस होटल में एक साया बेचैन हो उठता है। वो कभी गलियारों में चहलकदमी करता हुआ दिखाई देता है तो कभी खुली खिड़कियों से झांकता हुआ।
होटल के कुल 121 कमरों में यह साया पूरी रात कुछ टटोलता रहता है। होटल सवॉय के बारे में ये बातें यूं ही कही सुनी नहीं हैं। लोगों का मानना है कि इसका ताल्लुक हकीकत से है। एक ऐसी हकीकत जिसपर सदियों से पर्दा पड़ा हुआ है। तो आईए उस हकीकत से पर्दा उठाते हैं। आज का सवॉय दरअसल 19वीं शताब्दी का मसूरी स्कूल था जिसका नाम बाद में बदलकर मेडॉक स्कूल रख दिया गया। भूत प्रेत की कहानी हिंदी।
स्कूल की जर्जर हो चुकी इस इमारत को 1890 में इंग्लैंड से आए लिंकन ने खरीदा था। और फिर 12 साल की मेहनत के बाद वर्ष 1902 में इसे लंदन के मशहूर होटल सवॉय के तर्ज पर खड़ा किया। 121 कमरे, हिंदुस्तान का सबसे बड़ा बॉल रूम, आलिशान पार्क, गार्डन, टेनिस कोर्ट, रेसकोर्स और बिलयर्ड रूम यहां तक की होटल का अपना अलग पोस्ट ऑफिस अंग्रेजों के लिए एक ख्वाब के सच होने जैसा था।

एक दौर था जब इस होटल की शाम गुलजार रहा करती थीं। तभी कुछ ऐसा हुआ जिसने एक झटके में सबकुछ बदल कर रख दिया। होटल में एक ब्रिटिश महिला का खून हो गया। पूरा मसूरी सन्न थी। अंग्रजों के बीच खलबली मची हुई थी। ऐसा इसलिए नहीं कि उस दौर में कत्ल नहीं होते थे बल्कि इसलिए क्योंकि कत्ल का तरीका बिल्कुल अलग था।
लेडी गारनेट ऑरमे की लाश मौत के कई दिनों बाद होटल के कमरे से बरामद हुई थी। बावजूद इसके लाश एक दम ताजा मालूम पड़ रही थी। पुलिस की डायरी में यह हत्या दब गई और लोगों को पता भी नहीं चल पाया कि लेडी गारनेट ऑरमे की हत्या कैसे हुई थी। इतना ही नहीं उनकी लाश का क्या हुआ यह भी रहस्य रह गया।
कत्ल के बाद सवॉय की कहानी और पेंचीदा हो गई। लोगों को यकीन हो चुका था कि गारनेट ऑरमे का भूत होटल पर कब्जा कर चुका है। क्योंकि इस अजीबो गरीब मौत के बाद दो और लोगों (डॉक्टर जिसने ऑरमे की लाश का पोस्टमार्टम किया और एक पेंटर जो ऑरमे के लिए पेटिंग किया करता था) की रहस्यमय मौत हुई ।
इसके बाद सवॉय के दरो-दीवार में मनहूसियत सी बस गई। एक पुरानी कहानी के मुताबिक सवॉय के मालिक ने इस इमारत को अपनी बीबी के दौलत से खरीदी थी। वो सिलसिलेवार कातिल था जिसने बाद में जायदाद की खातिर बीबी की भी हत्या कर दी। रहस्यमय मौतों के के बावजूद भी सवॉय की कशिश नए मालिकों को खीचती रही।
इतिहास की मानें तो दूसरे विश्व युद्ध के वक्त सवॉय अमेरिका और ब्रिटीश फौजियों का ठिकाना था। इस होटल के इतिहास में ये वो दौर था जब इन दीवार के पीछे की बातें वहीं दफ्न कर दी जाती थी। जो बाहर ले जाता उसका अंजाम मौत होता था। सबकुछ खामोशी से होता रहा।
सवॉय से आती कभी किसी ने कोई चींख नहीं सुनी और लोगों का रहस्मय ढंग से लापता होना जारी रहा। होटल में हुई कत्ल की इन तमाम वारदातों ने इस इमारत की किस्मत हमेशा के लिए बदल दिया। यूं तो वारदात की शुरुआत हुई थी कत्ल से पर बात आगे बढ़ते बढ़ते पहुंच गई भटकती हुई रुहों पर और फिर खत्म हुई होटल की बर्बादी पर।
इसके बाद भी इसे खरीदा तो कई लोगों ने पर आबाद कोई नहीं कर पाया। कहते हैं वर्षों आबाद रहने वाली इमारतों को विरानी की आदत एकदम से नहीं पड़ जाती लिहाजा देखने वालों को यहां आज भी हलचल दिख जाती है। आज यह होटल पूरी तरह बंद है। माना जाता है कि तब से ऑरमे की आत्मा इस होटल में अपने गुनहगार की तलाश कर रही है।
इस स्थान को सीरियल किलिंग से भी जोड़कर देखा जाता है लेकिन अधिकांश लोगों का मानना है कि इन हत्याओं के पीछे उसी लेडी ऑरमे की रूह का हाथ है।
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Queen merry ship की कहानी
भूत प्रेत की कहानी हिंदी-3। अभी तक आपने ऐसी डरावनी जगहों की सैर की जो कि कोई पुरानी, इमार, अस्पताल, या जेल थी लेकिन आज इस नये क्रम में हम आपकों कुछ अलग तरह की डरावनी जगह से रूबरू कराऐंगे। इस बार की जगह न कोई इमारत है और नही कोई अस्पताल या जेल यह एक जहाज (जलपोत) है जो समुद्र के सीने पर दौड़ते दौडते ही आत्माओं का बसेरा हो गयी।
आज हम आपकों बताएगे कैलिफोर्निया के उस विशाल जहाज के बारें में जो अपने आगोश में न जाने कितनों के मौत को छिपाए बैठी है। यह जहाज कैलिर्फोनिया के लांग बीच हारर्बर पर खड़ी रहती है। इस जहाज का नाम क्वीन मैरी है जो कि किंग जार्ज पंचम की पत्नी मैरी आफ टेक के नाम रखा गया था।
इस जहाज का इतिहास जितना रोचक है उतना ही इसका वर्तमान शानदार है। आज भी लोगों को इस जहाज पर रूहों का आभास होता रहता है। तो आइऐ शुरू करते है एक शानदार और खौफनाक सफर का जो कि अपने आप को उस दौर में लेकर जाने में सक्षम होगा।
*** क्वीन मैरी का इतिहास *** क्वीन मैरी जैसा कि पहले ही आपकों बताया जा चुका है यह एक शानदार और विशाल जहाज है। यह जहाज एक ट्रांस अटलांटिक समुद्री लाइनर है। इस जहाज का निर्माण सन 1931 में शुरू किया गया था जो कि 3 सालों के बाद सन 1934 में तैया हुआ। यह जहाज एक शानदार विशाल जहाज है, और अपने समय के सबसे बड़े ऐतिहासकि जहाज टाइटेनिक से बहुत बड़ा है।
1,000 फीट लम्बा यह जहाज बहुत ही शक्तीशाली इंजनों सें बनाया गया है। क्वीन मैरी 27 मई 1936 को समुद्री परिक्षण के बाद अथाह समुद्र के सीने पर दौड़ने के लिए रवाना कर दिया गया और इसी के साथ शुरू हुयी क्वीन मैरी की पहली यात्रा।
अपने पहली यात्रा में ही इस शानदार और विशाल जहाज में सबसे तेज ब्लू अटलांटिक को पार करने का बेहतरीन रिकार्ड अपने नाम कर लिया। अपने समय के इस सबसे बडे़ जहाज का इतिहास और भी भयावह है। आईए सैर करते है क्वीन मैरी के बनावट की। भूत प्रेत की कहानी हिंदी।
*** क्वीन मैरी की संरचना *** 1000 फुट लॅबी यह जहाज समुद्र की छाती पर एक बड़ा महल जैसा प्रतित होता है इस जहाज का इंजन का कमरा पानी में 50 फिट नीचे तक धंसा रहता है। जिसमें बहुत ही बड़े बड़े मशीनों का प्रयोग किया जाता है। 5,000 से ज्यादा यात्रियों को बैठाने की क्षमता रखने वाला यह जहाज कई बड़े युद्वों में हिस्सा बना और द्वितीय विश्व युद्व में मित्र देशों की मदद की।
*** जहाज पर घटनाएं *** क्वीन मैरी अपने समय की सबसे बड़ी और शानदार जहाज थी उस समय सभी लोग इस जहाज की यात्रा करने की चाहत रखते थे। इसी चाहत के कारण् लोगों की भारी भीड़ इस जहाज पर आयें दिन यात्रा करती थी।
इस जहाज पर भारी मशीनरी, कई युद्वों में भाग और लम्बी यात्राओं के चलते इस जहाज पर कई घटनाए हुयी जिसमें बहुत से लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। आज भी इस जहाज उन मौतों और निदोर्षो की चीखों, और उनके होने का आभास आसानी से किया जा सकता है। इस जहाज पर कई हादसें हुए जो लोगों की मौत का कारण बनी और आज उन मौतों ने रूहों के रूप में अब इस जहाज पर कब्जा कर रखा है। आप को कुछ घटनाओं और जगहों के बारें में बताया जा रहा है।
*** एक साथ 300 लोगों की मौत *** अपने इसी दौर में यह जहाज मौत की एक भयावह गाथा लिख गया और इस पर सवार लोग ही इस जहाज पर मौत के आगोश में आते गये। अपनी यात्रा के दौरान एक बार क्वीन मैरी अपना रास्ता भटक गयी और इस समय अचानक से जल्दबाजी में लाइनरों को बदल दिया गया जिसके कारण जहाज के 300 से ज्यादा क्रू सदस्य कट गये और मौके पर ही उनकी मौत हो गयी।
यह हादसा जहाज के नीचले हिस्से में हुआ जहां इंजन का लगा हुआ था। आज भी इंजन वाले तल पर कई ऐसी जगहें है जिन्हे प्रतिबंधीत किया गया है। इस तल पर आज भी उन क्रू के कर्मचारियों की चीखें सुनाई देती है। इसके अलांवा कभी कभी कोई मशीने अपने आप ही शुरू हो जाती है। जिसके कारण अकेले इस तल पर रहने वाले लोगों के साथ आज भी हादसें हो जाते है। कर्मचारियों की मौत के बाद से ही यहां पर पानी में पतवारों की भी आवाजें आती है, और एक साथ सैकडों लोगों की बचाने की आवाज तो लोगों को मौत का अनुभव करा देती है। भूत प्रेत की कहानी हिंदी।
*** कैप्टन ट्रिजर जोंस *** कैप्टन ट्रिजर जोंस क्वीन मैरी का आखिरी पाइलट था जिसकी मौत जहाज पर ही हो गयी थी। उसके मौत के पिछे क्या कारण था इसका पता तो आज भी नहीं लगाया जा सका है। लेकिन लोगों को अंदाजा है कि उसने जहाज के अपने कमरे में कई बार ऐसी रूहों को देखा था और कई बार उसे अकेले में बात करत हुए भी देखा गया था। सबसे रोचक बात यह है कि जोंस हमेशा सिगार पिता रहता था और आज भी जहाज में उसके कोर्ट में उसके सिगार की खुश्बु आती रहती है।
*** सफेद महिला, और उसका साया *** इस जहाज पर एक सफेद महिला की रूह को कई बार लोगों ने देखा है। आपकों बता दे कि इस जहाज पर एक ऐसी महिला यात्रा कर रही थी जिसे सफेद वस्त्र बहुत पसंद थे और हमेशा सफेद कपड़ो में ही रहती थी। वो महिला जहाज पर अकेली आयी थी और आये दिन वो अकेले ही एक मधुर संगीत पर वो डांस करती रहती थी। एक दिन उसका शव स्वीमींग पूल के पास पड़ा मिला।
आज भी लोगों को वो महिला किसी भी दरवाजे के कोने में अकेले डा़स करती हुयी दिख जाती है। लोगों का मानना है कि उसका चेहरा बहुत ही भयावह है। इसके अलांवा स्विमिंग पूल में एक और हादसा हुआ था। इस पूल में दो अन्य लडकियों की डुबकर मौत हो गयी थी। इस स्िवमिंग पूल में आज भी लोगों को अवानक ही पानी में किसी के गिरने या फिर लोगों को डुबने का एहसास होता है।
इस एक समय हादसों के चलते इस स्विमिंग पुल को बंद कर दिया गया था। एक महिला ने बताया था वो जब पानी में नहा रही थी तो ऐसा लग रहा था कि कोई उसे पानी में खींच रहा है। भूत प्रेत की कहानी हिंदी। बहुत ही मुश्किल से वो पुल से बाहर निकली और जब वे बाहर निकल रही थी तो उसने पिछे मुड़कर देखा तो उसके पिछे दो और पैरों के निशान पड़ रहे थे इतना देख कर वो वहां भाग चली। लोगों को बाद में बुलाया गया तो अन्य लोगों ने भी इस बात को माना।
*** प्ले रूम *** इस जहाज पर एक ऐसी महिला थी जो कि गर्भवती थी और उसने जहाज पर ही एक बच्चे को जन्म दिया था। लेकिन दुर्भाग्य से बच्चे की कुछ ही दिनों बाद मौत हो गयी। वो महिला अपने छोटे बच्चे को लेकर अक्सर प्ले रूम में जाया करती थी जहां पर पहले से मौजूद बच्चे उस छोटे बच्चे के साथ खेला करते थे।
लोगों का मानना है कि उस बच्चे की मौत के बाद से वहां खेलने वाले बच्चों की मनोवृत्ति बदल गयी और वो आपस में ही लड़ाई झगड़ा करने लगे। एक बार एक 9 साल के बच्चे ने अपी ही उम्र के एक बच्चे को चाकू मार दिया और मौके पर ही उसकी मौत हो गयी। आज भी इस कमरे में बच्चों का शोर और उनके रोने की आवाजें सुनी जाती है।
कई बार होने वालें इन हादसों की वजह और इस जहाज के प्रेतबाधित हो जाने के कारण लोगों ने इस जहाज पर यात्रा करना कम कर दिया। इस जहाज पर आज भी उन मौतों को विशेष कर उस सफेद महिला को जहाज के किसी भी हिस्सें में महसूस किया जा सकता है।
क्वीन मैरी को 16 सितम्बर 1967 को यह जहाज कैलिफोर्निया में बेच दिया गया। 9 दिसम्बर 1967 को यह जहाज कैलिर्फोनिया पहुंचा। मई 1971 में इस जहाज को दुबारा खोलों गया जो कि आज भी है अब यह जहाज एक शानदार होटल में तब्दील हो गया है। लेकिन रूहों का कब्जा आज भी इस जहाज पर है।
टावर ऑफ़ लंदन की कहानी
भूत प्रेत की कहानी हिंदी-4। दुनिया भर में लोगों के जेहन में किसी भी सुनसान या पुरानी इमारत, खंडहर आदी को देखकर एक अजीब एहसास तो जरूर होता है। जहां भी हम कहीं कोई सुनसान इमारत देखते है तो हमारे दिमाग उस इमारत मे रहने वाले लोंगों के बारे जानने की जिज्ञासा जाग उठती है। कभी-कभी ऐसी जगहों पर लोग किसी आत्मा, रूह या भूतों को देखने का भी दावा करते है।
जो लोग इन पर विश्वास करते हैं वो तो इसे मान लेते हैं, लेकिन जो नहीं करते उनके लिए वो महज एक पुरानी इमारत होती है। लेकिन यह सच है कि दुनिया में हर वर्तमान का भूतकाल होता है और सबका कुछ ना कुछ इतिहास होता है। और जहां तक रही बात भूत, प्रेत या रूहो कि तो वो भी हम इंसानों की ही तरह इस वायुमंडल में रहते हैं। बस अलग होता है तो उनका रहने का तरीका।
एक ऐसी इमारत जो जीत की निशानी के तौर पर बनी लेकिन मौत का महल बन गयी। लंदन ऑफ टावर का इतिहास लंदन ऑफ टावर, लंदन शहर के बीचों बीच खड़ी एक पुरानी इमारत है। लगभग 1,000 वर्ष पुरानी इस इमारत की भी अपना एक अलग इतिहास है और कहानी है। जो कि इसमें रहने वालों की मौत की कहानी है।
इस इमारत में मौत, फांसी, हत्या, और अत्याचारों की ऐसी ऐसी वारदाते हुयी है जो आज तक महसूस की जाती है। इस इमारत की दिवारों में आज भी मौत की उन चींखों को आसानी से महसूस किया जा सकता है। ब्रिटेन की राजधानी लंदन के बीचों बीच थेम्स नदी के किनारे यह भव्य इमारत स्थित है।
इस इमारत का निर्माण सन 1078 में विलियम ने कराया था। इस इमारत को बनवाने में फ्रांस से बेशकिमती संगमरमर और पत्थरों को मंगवाया गया था। इस इमारत का परिसर बहुत बड़ा है और इस परिसर में और भी कई इमारते हैं। एक शानदार समय था जब यह ब्रिटेन का शाही महल था।
आपको बता दें कि अपने दौरा में यह इमारत राजसी बंदियों के लिए कारागार भी थी और यह महल अनेक मृत्युदंड तथा हत्याओं का साक्षी रहा है। इस इमारत में यहां के राज परिवार के लोगों के ही खुन के छिटे हैं जो कभी-कभी इंसानी दुनिया में लोगों को कुछ महसूस करा देते हैं और लोग उन्हें भूत, प्रेत और रूहों का नाम दे देते हैं।
इस इमारत में सिर कलम करना भी एक सजा के तौर पर प्रयोग की जाती थी। हेनरी अष्ठम जिसका जन्म 28 जून सन 1491 में हुआ था एक ऐसा पराक्रमी और कठोर शासक जो कि अपने जन्म से लेकर अपने मौत तक लंदन का शासक बना रहा।भूत प्रेत की कहानी हिंदी। टावर आफ लंदन में इस शासक के कारनामें बहुत थे लेकिन जो अविष्मरणीय था वो कुछ ऐसा था। हेनरी अपने जन्म के बाद समयानुसार बड़ा हुआ वह वहुत ही पराक्रमी और तेज था। भूत प्रेत की कहानी हिंदी ।
वे लॉर्ड ऑफ आयरलैंड तथा फ्रांस के साम्राज्य के दावेदार थे। हेनरी हाउस ऑफ ट्युडर के द्वितीय राजा थे, जो कि अपने पिता हेनरी सप्तम के बाद इस पद पर आसीन हुए। अपने छः विवाहों के अलावा, हेनरी अष्टम चर्च ऑफ इंग्लैंड को रोमन कैथलिक चर्च से पृथक करने में उनके द्वारा निभाई गई भूमिका के लिये भी जाने जाते हैं।
हेनरी की कठोरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसने अपनी दूसरी पत्नी को खुद ही मौत की सजा सुना दी। हेनरी की पहली पत्नी एनारान की कैथरीन थी और दूसरी पत्नी मशहूर ऐनी बोलिन थी। हेनरी को उस समय एक उत्तराधिकारी यानी की बेटे की जरूरत थी।
उस समय ऐनी बोलिन गर्भवती थीं, लेकिन ऐनी को डर था कि कहीं पूर्व की भांती इस बार भी कोई अप्रिय घटना न घटित हो जाये। लेकिन वही हुआ जिसका डर था। एलिन का गर्भपात हो गया जो कि राजा हेनरी को नगवार गुजरा और उसने ऐनी को मौत की सजा सुना दी।
इस घटना के बाद ऐनी खास फ्रासिंसी अंदाज में मौत को गले लगाया और ग्रिन टावर (टावर ऑफ लंदन का एक हिस्सा) पर घुटने के बल बैठ गयी और एक बडे़ से फरसे से उनका सिर कलम कर दिया गया। ऐनी की मौत के बाद भी हेनरी ने अपनी एक और पत्नी का सिर कलम करवाया था।
ऐसा माना जाता है कि आज भी ऐनी का भूत टावर ऑफ लंदन में भटकता रहता है। एक बार की बात है टावर ऑफ लंदन के एक चौकीदार ने कुछ ऐसा मंजर देखा था। चौकीदार के अनुसार 12 फरवरी सन 1957 में सर्दियों की रात थी और वो टावर के परिसर में रखवाली कर रहा था तभी उसने ग्रीन टावर के पास किसी सफेद साये को देखा। जो कि देखने में एकदम रानी की ही तरह लग रही थी। लेकिन उसका सिर उसके धड़ पर नहीं था ब्लकी वो अपने सिर को अपने दायें हाथ में पकड़ी हुयी थी।
चौंकाने वाली बता यह थी कि वो तारिख भी वहीं थी यानी की 12 फरवरी जो कि सन 1554 में थी और हेनरी ने अपनी दूसरी रानी लेडी जेन ग्रे का सिर कलम करवाया था। इसके अंलावा ऐनी बोलिन और लेडी जेन ग्रे अकसर लंदन के उस भव्य टावर में देखी जाने लगी।
*** टावर के बारें में भूत प्रेत की धारणा *** हेनरी अष्ठम के इस खौफनाक कारनामें ने जहां लोगों को जिंदगी से दूर कर दिया वहीं इस इमारत को एक अविस्मरणीय इतिहास भी दे दिया। ऐनी बोलिन और जेन ग्रे के अलांवा भी अन्य कई लोगों की रूहें इस टावर में बेखौफ घुमती रहती हैं।
सन 1541 में एक शाही कर्मचारी को मौत की सजा सुनायी गयी थी उस पर आरोप था उसने बही खातों के साथ छेड़छाड की थी। इसके लिए उसे कुलहाडियों से काट कर मौत के घाट उतार दिया गया। ऐसा माना जाता है कि वो निर्दोष था। वो कर्मचारी आज भी इस टावर के प्रशासनिक भवन मे भी उसे देखा जाता है उसका शरीर क्षत विक्षत होता है और उसके हाथ में एक कुलहाड़ी होती है।
*** टावर में भालू *** इस टावर में बहुत सारी अजीबो गरीब चीजें आप देख सकते हैं। यहां जानवरों को बांध कर रखा जाता था और महज मनोरंजन के लिए उन्हे पाला जाता था। ऐसा बताया जाता है कि टावर में एक भालू का भी भूत देखने को मिलता है।
सन 1251 में हेनरी तृतीय को नार्वे के राजा ने उपहार के रूप में एक ध्रूविय भालू दिया था। इस भालू को टेम्स नदी के किनारे से मछलियों को खाना दिया जाता था। कुछ सालों के बाद उसे महल से हटा दिया गया जहां उसकी मौत हो गयी। आज भी इस टावर में कभी कभी परिसर में इस भालू की छाया को घुमते हुए देखा जाता है।
*** टावर के संरक्षक कौवे *** यह सुनकर आपको अजीब लगेगा कि इतनी बड़ी इमारत के संरक्षक भला कौवे कैसे हो सकते है। लेकिन यह सत्य है इस टावर की सुरक्षा यहां 8 कौवों के कंधों पर है। ऐसा माना जाता है कि जिस दिन ये कौवे इस टावर को छोड़कर कहीं और चले जायेंगे उस दिन यह टावर अपने आप ही धवस्त हो जायेगा। इन कौवों की स्वास्थ और सुरक्षा का भी खास ख्याल रखा जाता है। यह कौवे बहुत सालों से यहां रहते है इनमें से एक की मौत 44 साल की उम्र में हुयी थी। इमारत के कैदी और यातनाएं।
यह इमारत हजारों कैदियों उनकी सजा और उनके मौत की गवाह है। यहां हम आपको कुछ खास कैदियों के नाम बता रहे है जो कि आज से लगभग 900 साल पहले इस इमारत की जेल में बंद थे। इस इमारत में राजघराने से लेकर संतों तक को कैदी बनाया गया था।
जैसे कि रेनाल्फ फ्लेमबर्ड जो कि एक मंत्री थे, स्काट के राजा जॉन बालिओल, जार्ज ड्यूक राजा का भाई, एडवर्ड पंचम राजकुमार, एन्ने एसक्यू महिला कैदी, हीव ड्रैपर जादूगर, जॉन गेरार्ड संत, सर वाल्टर रालेग दरबारी कवि, सर एवेरार्ड डिग्बी महान कैथोलिक।
ये ऐसे लोग थे जिन्हे इस इमारत में अलग अलग जगहों पर कैद कर के रखा गया था। इमारत में कैदियों के साथ भयानक यातनाए दी जाती थी। कभी कभी कैदियों के जिन्दा जलाया जाता था और उनके शरीर को टुकड़ो में काट काट कर फेक दिया जाता था।
आप इन्हे कभी भी देख सकते है। इस इमारत को अब दुनिया भर के लोगों को दिखाने के लिए एक टूरिस्ट प्लेस के तौर पर शुरू किया गया है। आप टिकट लेकर इस इमारत में इन रूहो को महसूस कर सकत है और एक रोमांचक दुनिया की यात्रा कर सकते है। यह इमारत आपको उस दौर में ले जाने के लिए सक्षम है।
इस टावर की अपनी खुद की आफिशियल वेबसाईट है जो कि आपको पुरी जानकारी देगी।
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