Horror Story in Hindi Real | Part-1 |

अमावस की रात थी। आसमान में घने बादल छाए थे, और हवा में एक अजीब-सी ठंडक थी। शहरी जीवन की चकाचौंध से दूर, पहाड़ियों के बीच बसी एक पुरानी हवेली—जिसका नाम था “विषाणु विला”—सालों से वीरान पड़ी थी। लोग कहते थे कि वहाँ कुछ अनहोनी होती है, कुछ ऐसा जो इंसानों की समझ से परे है। लेकिन यह सिर्फ़ अफ़वाह थी… या शायद नहीं?

Horror Story in Hindi Real | Part-1 |

भूतिया हवेली की दास्तान

मुख्य पात्र

  1. आरव मेहरा (27 साल) – एक प्रसिद्ध ब्लॉगर और हॉरर स्टोरीज़ पर रिसर्च करने वाला व्यक्ति। हमेशा सच्चाई खोजने में दिलचस्पी रखता है।
  2. निधि शर्मा (25 साल) – आरव की मंगेतर, जो पैरा-साइकोलॉजी में दिलचस्पी रखती है। तेज़-तर्रार, बहादुर और तर्कशील।
  3. रवि वर्मा (30 साल) – आरव का दोस्त और एक फ़ोटोग्राफ़र। एडवेंचर का शौक़ीन, मगर थोड़ा डरपोक।
  4. प्रिया सेन (24 साल) – निधि की बचपन की दोस्त, जो इन सब बातों पर ज़्यादा विश्वास नहीं करती।

कहानी शुरू होती है

आरव को जब विषाणु विला के बारे में पता चला, तो वह बहुत उत्साहित हो गया। उसने निधि, रवि और प्रिया को भी अपने साथ चलने के लिए मना लिया। चारों दोस्त एक पुरानी जीप से हवेली की ओर निकल पड़े।

रास्ता सुनसान था। चारों ओर केवल जंगल, और बीच-बीच में उल्लुओं की आवाज़। हवेली तक पहुँचते-पहुँचते रात के ग्यारह बज चुके थे। दरवाज़ा ज़ंग लगा हुआ था, और हवेली के ऊपर के हिस्से में टूटी हुई खिड़कियाँ हवा में झूल रही थीं।

“क्या हमें सच में अंदर जाना चाहिए?” रवि ने घबराते हुए पूछा।

“अब यहाँ तक आए हैं, तो चलो,” आरव ने कैमरा ऑन करते हुए कहा।

चारों ने टॉर्च जलाकर हवेली का दरवाज़ा खोला। अंदर घुप अंधेरा था, और एक अजीब-सी गंध फैली हुई थी—जैसे बहुत पुराने काग़ज़ों और सड़े हुए फूलों की। दीवारों पर जाले थे, और ज़मीन पर धूल की मोटी परत जमी थी।

भूतिया घटनाएँ शुरू होती हैं

वे धीरे-धीरे अंदर बढ़े। अचानक, हवा में एक धीमी-सी सिसकी गूँजी।

“क…क्या तुम लोगों ने सुना?” निधि ने हल्के से फुसफुसाते हुए कहा।

“हाँ, लेकिन शायद यह हवा का असर है,” प्रिया ने तर्क दिया।

पर तभी, ऊपर की मंज़िल से किसी के चलने की आवाज़ आई—हल्की मगर साफ़!

“ऊपर कोई है!” रवि ने घबराते हुए कहा।

आरव ने धीरे-धीरे सीढ़ियाँ चढ़नी शुरू कीं, बाक़ी तीनों उसके पीछे थे। जब वे ऊपर पहुँचे, तो एक कमरा खुला हुआ था। आरव ने टॉर्च की रोशनी अंदर फेंकी—कमरे में पुरानी कुर्सियाँ और एक बड़ा लकड़ी का पलंग था।

अचानक, पलंग के नीचे से किसी के नाखूनों के खुरचने की आवाज़ आई!

अब तक चारों के दिल ज़ोर से धड़क रहे थे।

“क्या कोई मज़ाक कर रहा है?” प्रिया ने ज़ोर से कहा, मगर उसकी आवाज़ भी काँप रही थी।

जवाब में, एक हड्डी-पिघलाने वाली चीख हवेली में गूँज उठी

अतीत का रहस्य

चारों तेज़ी से भागकर नीचे आए। तभी, एक पुरानी अलमारी पर एक किताब रखी मिली। निधि ने उसे खोला—उसमें विषाणु विला के मालिक, प्रताप सिंह की कहानी लिखी थी।

1902 में, प्रताप सिंह अपनी पत्नी और बेटे के साथ यहाँ रहते थे। लेकिन एक दिन उनकी पत्नी ने आत्महत्या कर ली। लोगों का कहना था कि प्रताप ने उसे मारा था, और उसके बेटे को हवेली में ही ज़िंदा दफ़ना दिया था। तभी से, यह हवेली श्रापित मानी जाती थी।

“क्या यह आत्मा हमें यहाँ से भगाना चाहती है?” निधि ने कहा।

“या शायद हमें कुछ बताना चाह रही है,” आरव ने सोचा।

असली आतंक

तभी, हवेली के दरवाज़े अपने आप बंद हो गए। टॉर्च की रोशनी अचानक बुझ गई।

अब केवल सन्नाटा था… और एक धीमा, गहरे गले से निकला हुआ हँसी का स्वर

“कौन है वहाँ?” रवि ने काँपते हुए पूछा।

अचानक, अंधेरे में दो चमकती हुई आँखें दिखीं। वे हवा में तैर रही थीं, और फिर… एक धुंधली आकृति प्रकट हुई—फटे हुए कपड़ों में लिपटी, सूखी-सड़ी हुई चमड़ी, और गले से निकली एक धीमी गुर्राहट।

“चले जाओ…”

आवाज़ भारी थी, डरावनी थी।

चारों दोस्तों ने एक-दूसरे का हाथ पकड़ा और जैसे-तैसे दरवाज़े की ओर भागे। मगर दरवाज़ा नहीं खुला!

“हमें कुछ करना होगा!” निधि ने तेज़ी से कहा।

उसने पुरानी किताब को उठाया और देखा कि उसमें एक मंत्र लिखा था—एक आत्मा को मुक्त करने के लिए। निधि ने हिम्मत जुटाकर मंत्र पढ़ना शुरू किया।

अचानक, हवेली ज़ोर से हिलने लगी। भूतिया आकृति ज़ोर से चिल्लाई और धुएँ में बदलकर दीवार के अंदर समा गई।

दरवाज़ा अपने आप खुल गया।

चारों तेज़ी से हवेली से बाहर भागे।

अंत

जब वे जीप तक पहुँचे, तो एक बार पीछे मुड़कर देखा। हवेली अब पहले जैसी नहीं लग रही थी—जैसे उसकी आत्मा को मुक्ति मिल गई हो।

आरव ने एक गहरी साँस ली।

“अब समझ आया… कुछ जगहें सच में भूतिया होती हैं!”

और चारों बिना कोई और देरी किए वहाँ से वापस लौट गए, यह कसम खाकर कि वे फिर कभी किसी श्रापित जगह का सामना नहीं करेंगे…

या शायद करेंगे?

(समाप्त)