हिमाचल प्रदेश की वादियाँ जितनी खूबसूरत हैं, उतनी ही रहस्यमयी भी। घने जंगलों और वीरान घाटियों के बीच बसे कुछ गाँव ऐसे भी हैं, जहाँ सूरज ढलते ही सन्नाटा पसर जाता है। ऐसा ही एक गाँव था कुठार, जिसे लोग भूतिया मानते थे। कहा जाता था कि वहाँ एक बुरी आत्मा रहती थी, जो अजनबियों को अपना शिकार बनाती थी।
कहानी शुरू होती है जब तीन दोस्त—समीर, आरव और निशा—इस रहस्य का सच जानने हिमाचल की यात्रा पर निकलते हैं।

दूरस्थ गाँव का रहस्य
- समीर शर्मा (29 साल) – एक इतिहासकार, जिसे भूतिया जगहों पर रिसर्च करना पसंद है।
- आरव चौहान (30 साल) – फोटोग्राफर, जो रहस्यमयी स्थानों को अपने कैमरे में कैद करना चाहता है।
- निशा मेहता (28 साल) – एक पत्रकार, जो सच्चाई सामने लाने में विश्वास रखती है।
- दादा ठाकुर (65 साल) – गाँव के बुजुर्ग, जो इस श्रापित गाँव का इतिहास जानते हैं।
- रुद्र (?? साल) – एक रहस्यमयी व्यक्ति, जो कुठार के अंधेरे से जुड़ा हुआ है।
कहानी की शुरुआत
समीर, आरव और निशा को कुठार गाँव के बारे में पता चला जब वे हिमाचल के वीरान गाँवों पर एक डॉक्यूमेंट्री बना रहे थे। उन्हें बताया गया कि कुठार में सूरज डूबने के बाद कोई नहीं जाता।
गाँव के लोग कहते थे कि रुद्र नाम का एक आदमी वर्षों पहले वहाँ रहता था, जो अचानक गायब हो गया। तब से रात में लोगों ने अजीब चीज़ें देखी थीं—पेड़ों की छायाएँ हिलती थीं, खिड़कियों से किसी के झाँकने का अहसास होता था, और दूर पहाड़ों से किसी के रोने की आवाज़ें आती थीं।
यह सब सुनकर तीनों दोस्तों ने तय किया कि वे एक रात कुठार गाँव में बिताएँगे।
भूतिया गाँव में पहला कदम
गाँव में प्रवेश करते ही माहौल अजीब लगने लगा। सड़कों पर सन्नाटा था, घरों के दरवाज़े जर्जर हो चुके थे, और चारों ओर घना कोहरा फैला हुआ था।
तभी उन्हें एक बूढ़े आदमी की आवाज़ सुनाई दी।
“यहाँ रुकना मत, बेटा,” दादा ठाकुर ने कहा, जो गाँव के इकलौते जीवित बुज़ुर्ग थे।
“हम सिर्फ़ सच्चाई जानना चाहते हैं,” निशा ने कहा।
दादा ठाकुर ने गहरी साँस ली और कहा, “अगर रात के बारह बजे तक रुके, तो तुम्हें जवाब मिल जाएगा… लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होगी।”
रात का आतंक
रात होते ही समीर, आरव और निशा गाँव की गलियों में घूमने लगे। आरव अपने कैमरे से तस्वीरें खींच रहा था, लेकिन अजीब बात यह थी कि कैमरे में कोई भी तस्वीर स्पष्ट नहीं आ रही थी—सब धुंधली थीं।
बारह बजते ही हवाओं में बदलाव महसूस हुआ। हवा अचानक ठंडी हो गई, और दूर किसी के चलने की आवाज़ें आने लगीं।
तभी आरव ने एक छाया देखी—वह छाया किसी आदमी की तरह लग रही थी, मगर उसका चेहरा धुंधला था।
“तुम कौन हो?” समीर ने हिम्मत करके पूछा।
अचानक, एक ज़ोरदार चीख़ गूँजी, और हवा में अजीब-सी सरसराहट हुई। निशा के पीछे एक ठंडी छाया थी, जो धीरे-धीरे और पास आ रही थी।
“भागो!” दादा ठाकुर की आवाज़ दूर से आई।
तीनों ने गाँव के पुराने मंदिर में शरण ली।
“यह कौन था?” निशा ने काँपती आवाज़ में पूछा।
दादा ठाकुर ने बताया कि यह आत्मा रुद्र की थी।
“रुद्र कौन था?” समीर ने सवाल किया।
दादा ठाकुर ने गहरी साँस ली और बोले, “रुद्र इस गाँव का सबसे ताकतवर आदमी था। लेकिन उसकी शक्ति ने उसे अभिमानी बना दिया। एक दिन उसने एक साधु से भिड़ंत कर ली और उसे श्राप दे दिया गया कि वह हमेशा के लिए इस गाँव में भटकता रहेगा। जो कोई भी उसकी छाया में आएगा, वह हमेशा के लिए गायब हो जाएगा।”
समीर, आरव और निशा को एहसास हुआ कि वे बहुत बड़ा जोखिम उठा चुके थे।
“अब हम इस श्राप से बच सकते हैं?” आरव ने डरते हुए पूछा।
दादा ठाकुर ने कहा, “तुम्हें सूरज निकलने से पहले गाँव छोड़ना होगा, वरना तुम भी इस श्राप के शिकार हो जाओगे।”
अंतिम मुठभेड़
तीनों दोस्त भागते हुए गाँव से बाहर जाने लगे। लेकिन तभी, रुद्र की आत्मा उनके सामने प्रकट हुई।
“तुम जा नहीं सकते…” एक गहरी, भयावह आवाज़ आई।
हवा में कंपन होने लगा, और चारों ओर धुंध फैल गई।
समीर ने अपनी जेब से गंगाजल की छोटी शीशी निकाली, जिसे वे किसी पुराने मंदिर से लाए थे। उसने वह पानी ज़मीन पर छिड़क दिया, और अचानक हवा में एक ज़ोरदार धमाका हुआ।
रुद्र की आत्मा एक आख़िरी चीख़ मारकर ग़ायब हो गई
सूरज निकलने के बाद तीनों गाँव छोड़कर वापस लौट आए।
जब वे दादा ठाकुर को धन्यवाद कहने लौटे, तो उन्होंने देखा कि गाँव फिर से वीरान था।
“क्या वह सच में जीवित थे… या फिर वह भी इस श्राप का हिस्सा थे?”
कोई नहीं जानता।
लेकिन जब वे गाड़ी में बैठे, तो पीछे से किसी ने धीरे से कहा—
“तुम वापस आओगे…”
और तभी गाड़ी का इंजन अपने आप बंद हो गया।